मधुर मनोहर अतीव सुन्दर ,
ये सर्वविद्या की राजधानी , राजधानी !!
ये पूरा प्रांगण आत्मनिर्भर ,
एक लक्ष्य कि सब हों साक्षर !
सतत परिश्रम एकाग्रता से ,
बनी है कण कण की इक कहानी , इक कहानी !!
सूर्य की ऊष्मा से खिंची शक्ति ,
अदभुत सा साहस, और ज्ञान शक्ति !
नारी चली है प्रगति के संग में
उत्पीडन की प्रथा पुरानी , है पुरानी !!
अदभुत अनूठी है बाल संसद,
विद्यार्थियों का उच हुआ कद !
ग्रामीण उत्थान को है प्रेरित ,
संविधान की शक्ति पहचानी , है पहचानी !!
संस्कृति मिश्रण का ये उदाहरण ,
निरंतर विकास को समर्पण !
सम्पन्नता का प्रतिबिम्ब है ये,
तिलोनिया का ग्राम अभिमानी, है अभिमानी !!
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